हरदोई लोकसभा सीट के लिए कल डाले जाएंगे वोट, भाजपा के जयप्रकाश रावत व सपा की ऊषा वर्मा के बीच है सीधा मुक़ाबला,
हरदोई लोकसभा सीट के लिए कल डाले जाएंगे वोट, भाजपा के जयप्रकाश रावत व सपा की ऊषा वर्मा के बीच है सीधा मुक़ाबला
मीडिया रायटर्स रिपोर्ट/हर्षराज सिंह
हरदोई लोकसभा सीट के लिए कल सोमवार 13 मई को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार शनिवार की शाम से थम गया। कल शाम तक सभी दलों ने अपनी पुरज़ोर ताक़त झोंकी व मतदाताओं को अपनी अपनी तरफ आकर्षित करने के प्रयास किए। आज सुबह से मतदान केन्द्रों के लिए पोलिंग पार्टियों की रवानगी शुरु हो गई। हरदोई लोकसभा (सु) सीट पर अगर प्रतिद्वंदिता की बात की जाए तो भाजपा व सपा के मध्य ही है। बसपा उम्मीदवार क्या फ़र्क डालेंगे ये 4 जून को ही पता चल पाएगा।
1952 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस के बुलाकी राम वर्मा को जीत मिली थी। 1957 के दूसरे आम चुनावों में जनसंघ के द्रोहर शिवदीन काँग्रेस को झटका देते हुए सांसद चुन लिए गए। लेकिन साल 1962 के चुनावों में कांग्रेस ने वापसी की और किंदर लाल सांसद चुने गए। उसके बाद किंदर लाल 1967 और 1971 के चुनावों में भी जीते। 1977 के आम चुनावों में जनता बदलाव के मूड में थी और इस दौर में हरदोई की इस सीट से जनता पार्टी के परमाई लाल सांसद चुने गए। हालांकि महज 3 साल बाद 1980 में हुए चुनावों में कांग्रेस के मन्नी लाल ने जीत हासिल की। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद 1984 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की आंधी में किंदर लाल फिर से सांसद चुन लिए गए। 1989 में जनता दल के टिकट पर परमाई लाल दूसरी बार सांसद बने। 1991 आम चुनाव में इस सीट पर बीजेपी को पहली बार जीत मिली। वर्तमान भाजपा प्रत्याशी व उस समय पार्टी उम्मीदवार रहे जय प्रकाश रावत ने जीत दर्ज की और पहली बार सांसद निर्वाचित हुए। तत्पश्चात 1996 आम चुनावों में भी वे सांसद चुने गए। 1998 में हुए आम चुनावों में स्वर्गीय परमाई लाल की बहू समाजवादी पार्टी की उषा वर्मा पहली बार सांसद बनीं। अटल सरकार के 13 दिनों में ही गिर जाने के कारण 1999 में हुए लोकसभा चुनावों में लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर जय प्रकाश रावत तीसरी बार सांसद चुने गए। ततपश्चात 2004 व 2009 के चुनावों में सपा की ऊषा वर्मा ने सांसद बन अपनी ताक़त दिखाई। 2014 के आम चुनावों में बीजेपी की आंधी में अंशुल वर्मा सांसद चुने गए। 2019 में अंशुल को टिकट न देकर जय प्रकाश रावत को चुनाव लड़ाया गया जिन्होंने सपा की ऊषा वर्मा को हराकर पांचवीं बार सांसदी जीती।
इस प्रतिष्ठित सीट पर कुर्मी, ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य वोटरों का दबदबा है। 3 लाख के आसपास कुर्मी वोट हैं तो लगभग ढाई लाख ब्राह्मण और राजपूत वोट भी हैं। एक लाख के आसपास वोट वैश्य समुदाय का है। प्रतिशत में देखें तो अनुसूचित जाति के वोटर्स 31.1 फीसदी व 13.59 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं।
पिछले 2 चुनावों पर नज़र डालें तो 2014 में भाजपा के अंशुल वर्मा को 3 लाख 60 हज़ार पांच सौ एक मत मिले, वहीं दूसरे स्थान पर रहे बसपा के शिवप्रसाद को 2 लाख उन्नासी हज़ार एक सौ अट्ठावन व तीसरे स्थान पर रहीं सपा की ऊषा वर्मा को 2 लाख 76 हज़ार पांच सौ तेंतालिस मत मिले थे। 2019 के चुनावों में जयप्रकाश रावत को 5 लाख 68 हज़ार एक सौ तेंतालिस मत, दूसरे स्थान पर सपा/बसपा गठबंधन की संयुक्त प्रत्याशी सपा की ऊषा वर्मा को 4 लाख 35 हज़ार छः सौ उनहत्तर मत व तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के वीरेन्द्र कुमार को 19 हज़ार नौ सौ बहत्तर मत मिले थे।
बीजेपी प्रत्याशी सांसद जयप्रकाश रावत हरदोई के कद्दावर नेता पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल के अति निकट लोगों में शुमार किए जाते हैं। 2019 की तरह इस बार भी पूर्व सांसद ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। उनके बेटे आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने ताबड़तोड़ जनसभाओं/नुक्कड़ सभाओं के द्वारा माहौल भाजपा के पक्ष में करने की हरसम्भव कोशिश की है। इस दौरान शाहाबाद में मुख्यमंत्री योगी तो हरदोई में गृहमंत्री अमित शाह की जनसभा ने भी फ़र्क डाला है। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन से सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा 2 बार सांसद रहे स्वर्गीय परमाई लाल की बहू हैं और हरदोई लोकसभा सीट से 3 बार सांसद भी रह चुकी हैं। वे अपने ससुर स्व. परमाईलाल की राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं। सांडी विधान सभा से 2022 का चुनाव गंवाकर एक बार फिर वे लोकसभा चुनावों में जयप्रकाश रावत के सामने मैदान में हैं। इस बार इंडिया गठबन्धन की प्रत्याशी के तौर पर वे क्या असर डालेंगी ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन ज़मीनी तौर पर उन्होंने भी कोई कम मेहनत नहीं की है। इस बीच सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की जनसभाओं ने भी उनकी जमीन मज़बूत की। देखा जाए तो भाजपा व सपा के मध्य रोचक मुक़ाबला है। बसपा से लखनऊ मंडल के प्रभारी भीमराव अम्बेडकर को चुनाव लड़ाया गया है। वे कांशीराम के समय से ही बसपा में सक्रिय रहे हैं। मायावती ने भी रैली कर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की तो है लेकिन अपने भतीजे आकाश आनंद पर लिया गया कठोर निर्णय उनके कोर वोटर्स को ही पसंद नही आया है। हास्यास्पद ये भी रहा है कि बसपा ने 2019 में जीते अपने सभी 10 सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया है।
कल मतदान का दिन है, अवकाश का नहीं। मीडिया रायटर्स आपसे मतदान की गुज़ारिश करता है। पहले मतदान, फिर जलपान।
मतदान करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
लोकसभा सामान्य निर्वाचन वर्ष 2024 में मतदान करने के लिए आवश्यक कागजात आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक व डाकघर की फोटो युक्त पासबुक, स्वास्थ्य बीमा, स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, स्मार्ट कार्ड, एनपीआर के अंतर्गत आरजीआई द्वारा भारतीय पासपोर्ट, पेंशन दस्तावेज फोटोग्राफ सहित, फोटो युक्त सेवा पहचान पत्र, आधिकारिक पहचान पत्र सांसदों/राज्य सरकार/लोक उपक्रम पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा जारी विशिष्ट दिव्यांकता पहचान पत्र आदि किसी एक अभिलेख से मतदान कर सकते हैं। कोई सुझाव व समस्या होने पर हेल्पलाइन 1950 व 18001801950 पर कॉल करें। लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान जरूर करें। आपके मतदान से राष्ट्र मजबूत होगा। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान में बढ़चढ़कर भागीदारी करें।