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राज्य / हरदोई / 26 August 2025

टोडरपुर पंचायत में लाखों का गबन, FIR के बाद भी इंजीनियर पर कार्रवाई नहीं, विभागीय लेटर ने खोला राज

टोडरपुर पंचायत में लाखों का गबन, FIR के बाद भी इंजीनियर पर कार्रवाई नहीं, विभागीय लेटर ने खोला राज


मीडिया रायटर्स रिपोर्ट/राजीव कुमार मिश्र 

हरदोई। जनपद की टोडरपुर ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में गबन का बड़ा मामला सुर्खियों में है। अंत्येष्टि स्थल, आरआरसी सेंटर और पंचायत लर्निंग सेंटर के लिए जारी लाखों रुपये कागजों पर खर्च दिखा दिए गए, लेकिन मौके पर अधूरे या शुरू न हुए कार्य मिले। खंड विकास अधिकारी की रिपोर्ट पर ग्राम प्रधान श्याम बाबू त्रिवेदी और ग्राम विकास अधिकारी कौशलेन्द्र राजपूत के खिलाफ बेहटा गोकुल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।


जांच रिपोर्ट बताती है कि अंत्येष्टि स्थल के लिए स्वीकृत 24 लाख रुपये में से एक रुपये का भी काम शुरू नहीं हुआ। आरआरसी सेंटर में केवल नींव की खुदाई तक ही सीमित कार्य हुआ। पंचायत लर्निंग सेंटर के लिए स्वीकृत 7 लाख रुपये का 90 प्रतिशत खर्च दिखाया गया, जबकि भवन अधूरा और बंद मिला। न बिजली, न फर्नीचर, न स्मार्ट टीवी खरीदा गया। पंचायत भवन की हालत भी बेहद दयनीय पाई गई। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान और सचिव ने मिलीभगत कर योजनाओं की रकम हड़प ली।


मामले में खास बात यह है कि आरोपी प्रधान ब्लॉक प्रमुख का देवर और प्रदेश सरकार की एक मंत्री का करीबी बताया जा रहा है। यही वजह है कि इस प्रकरण पर राजनीतिक दबाव साफ देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि रसूखदार लोग अब अधूरे कार्य पूरे दिखाकर “एफआर” लगवाने की कोशिश कर रहे हैं।


इस बीच एक विभागीय पत्र सामने आया है, जो 28 जुलाई 2025 को जिला पंचायत राज अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी हुआ। इसमें शाहाबाद ब्लॉक के कंसल्टिंग इंजीनियर शिवा शुक्ला को टोडरपुर और टोडरपुर में तैनात प्रदुम्न कुमार सिंह को शाहाबाद स्थानांतरित किया गया था। सूत्रों का दावा है कि प्रदुम्न ने एमबी (माप पुस्तिका) बनाने से इनकार किया, जिसके बाद उनका तबादला कर दिया गया। ताज्जुब की बात यह है कि शिवा शुक्ला ने ज्वाइन किए माह भर भी नहीं बीता था और इतने कम समय में ही पेमेंट रिलीज़ कर दिया गया। सवाल उठ रहा है कि बिना एमबी के भुगतान कैसे हुआ और यदि एमबी बनी तो इतनी जल्दी गड़बड़ी कैसे संभव हुई।


ग्रामीणों का कहना है कि जेई और कंसल्टिंग इंजीनियर दोनों इस गबन के बराबर के दोषी हैं, मगर आश्चर्यजनक रूप से एफआईआर से बाहर रखे गए। सूत्रों का दावा है कि विभाग अब इस पत्र को गायब करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह दस्तावेज अब सार्वजनिक हो चुका है।


अब देखना होगा कि प्रशासन इस गबन में वास्तविक दोषियों तक कार्रवाई की आंच पहुंचाता है या मामला राजनीतिक दबाव में दबा दिया जाएगा।

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