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राज्य / हरदोई / 22 August 2025

हरदोई में गंगा-रामगंगा की बाढ़ से तबाही, कई गांव और स्कूल प्रभावित

हरदोई में गंगा-रामगंगा की बाढ़ से तबाही, कई गांव और स्कूल प्रभावित

मीडिया रायटर्स रिपोर्ट/राजीव कुमार मिश्र 

हरदोई। जनपद में गंगा, रामगंगा और गर्रा नदियों में आए उफान से कटियारी और कटरी क्षेत्र में बाढ़ का कहर बरपा हुआ है। बाढ़ का पानी गांवों और स्कूलों में घुसने से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से 29 गांवों की विद्युत आपूर्ति बंद कर दी है। वहीं 35 बेसिक स्कूलों में ताले जड़ दिए गए हैं और वहां तैनात 68 शिक्षकों को अन्य सुरक्षित स्कूलों में सम्बद्ध किया गया है।


तहसील सवायजपुर क्षेत्र के कई गांवों में प्रशासन लगातार राहत सामग्री पहुंचा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि घरों और खेतों में पानी भरे रहने से फसलें पूरी तरह बर्बाद हो रही हैं। वहीं पशुओं को चारे और सुरक्षित ठिकाने की दिक्कत बनी हुई है।


रामगंगा और गर्रा नदियों के पानी में थोड़ी कमी आई है जिससे कुछ गांवों में राहत के आसार दिखे हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक बुधवार की तुलना में गर्रा नदी के जलस्तर में 38 सेंटीमीटर की कमी आई है और यह 129.49 मीटर पर आ गया है। रामगंगा का पानी भी खतरे के निशान 137.10 मीटर से नीचे 136.90 मीटर पर पहुंच गया है। हालांकि गंगा नदी का जलस्तर अब भी खतरनाक बना हुआ है। गंगा का पानी खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर 137.30 मीटर पर बह रहा है।


बैराजों से छोड़े गए पानी की वजह से नदी का रुख बदल रहा है। हरिद्वार बैराज से 1,71,428 क्यूसेक और नरौरा बैराज से 1,28,716 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे गंगा का दबाव अभी भी बना हुआ है। हालांकि 43 प्रभावित गांवों में से सात से पानी निकल चुका है, लेकिन अभी भी 36 गांव जलमग्न हैं। कृषि क्षेत्र में 65 गांव प्रभावित हैं।


बिलग्राम क्षेत्र की कटरी में भी बाढ़ ने तबाही मचाई है। करीब 15 हजार की आबादी प्रभावित थी, जिसमें से 9 हजार लोगों को पानी घटने से राहत मिली है। फिलहाल चिरंजू पुरवा, शेखन पुरवा, भिखा पुरवा और पुनना पुरवा जैसे गांव अब भी पानी में घिरे हैं।


एसडीएम एन राम ने बताया कि प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। हरपालपुर क्षेत्र में पांचाल घाट–कढ़हर मार्ग पर अर्जुनपुर गांव के पास सड़क की धारा में कटान होने से गहरा गड्ढा बन गया है। जिससे चारपहिया वाहनों की आवाजाही ठप हो गई है। लोग मजबूरी में पैदल, साइकिल और बाइक से जोखिम उठाकर आवागमन कर रहे हैं।


हालांकि नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन प्रभावित गांवों के लोगों की मुश्किलें अभी भी बनी हुई हैं।

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